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मान्यवर कांशीराम जी का जीवन परिचय

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  कांशी राम  जन्म: 15 मार्च 1934, रोरापुर, पंजाब मृत्यु: 9 अक्तूबर 2006 कांशी राम एक भारतीय राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उन्होंने अछूतों और दलितों के राजनीतिक एकीकरण तथा उत्थान के लिए जीवन पर्यान्त कार्य किया। उन्होंने समाज के दबे-कुचले वर्ग के लिए एक ऐसी जमीन तैयार की जहा पर वे अपनी बात कह सकें और अपने हक़ के लिए लड़ सके। इस कार्य को करने के लिए उन्होंने कई रास्ते अपनाए पर बहुजन समाज पार्टी की स्थापना इन सब में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कदम था। कांशी राम ने अपना पूरा जीवन पिछड़े वर्ग के लोगों की उन्नति के लिए और उन्हें एक मजबूत और संगठित आवाज़ देने के लिए समर्पित कर दिया। वे आजीवन अविवाहित रहे और अपना समग्र जीवन पिछड़े लोगों लड़ाई और उन्हें मजबूत बनाने में समर्पित कर दिया। प्रारंभिक जीवन कांशी राम का जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब के रोरापुर में एक रैदासी सिख परिवार में हुआ था। यह एक ऐसा समाज है जिन्होंने अपना धर्म छोड़ कर सिख धर्म अपनाया था। कांशी राम के पिता अल्प शिक्षित थे लेकिन उन्होंने ये सुनिश्चित किया कि अपने सभी बच्चों को उच्च शिक्षा देंगे। कांशी राम के दो भाई और चार बहने...

चमार' शब्द को ब्रांड बनाने वाले सुधीर राजभर ने कैसे खड़ी की करोड़ों की कंपनी?

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  : 'चमार' शब्द को ब्रांड बनाने वाले सुधीर राजभर ने कैसे खड़ी की करोड़ों की कंपनी? ​सुधीर राजभर ने 'चमार' शब्द को एक ब्रांड में बदलकर करोड़ों की कंपनी स्थापित की है। उत्तर प्रदेश के जौनपुर से ताल्लुक रखने वाले सुधीर का पालन-पोषण मुंबई में हुआ। अपने गांव में, उन्हें अक्सर 'चमार' जैसे जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया जाता था। इस अपमान के बावजूद, उन्होंने इस शब्द को गर्व का प्रतीक बनाने का निर्णय लिया। ​ 2018 में, सुधीर ने 'चमार स्टूडियो' की स्थापना की, जिसका उद्देश्य चमड़ा उद्योग में काम करने वाले दलित कारीगरों को रोजगार देना और उनके सम्मान को बढ़ाना था। उन्होंने धारावी के कारीगरों के साथ मिलकर रिसाइकल्ड सामग्री से उच्च गुणवत्ता वाले, सस्टेनेबल और स्टाइलिश बैग और जूते बनाना शुरू किया। ​ चमार स्टूडियो के उत्पादों में रिसाइकल्ड रबर, प्लास्टिक की बोतलों से बना धागा और अन्य पर्यावरण-अनुकूल सामग्री का उपयोग होता है। उनके उत्पाद अमेरिका, जर्मनी और जापान सहित दुनिया भर में लोकप्रिय हैं। इस ब्रांड ने न केवल आर्थिक सफलता हासिल की है, बल्कि जातिगत भेदभाव के खिलाफ ...