Soil Health Card Yojana 2025 मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना 2015 में शुरू हुई थी, जो किसानों को उनकी मिट्टी की सेहत और उर्वरक सिफारिशों की जानकारी देती है।
यह योजना हर दो साल में कार्ड जारी करती है, जिससे उत्पादकता बढ़े और लागत कम हो।
लेकिन योजना अभी भी महत्वपूर्ण है।
किसान स्थानीय कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं मिट्टी का नमूना देकर कार्ड प्राप्त करें।
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Soil Health Card Yojana 2025: मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना क्या है? |
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण कृषि योजना है, जिसकी शुरुआत 19 फरवरी 2015 को हुई थी। यह योजना किसानों को उनकी खेत की मिट्टी की गुणवत्ता और पोषक तत्वों की जानकारी देती है, ताकि वे सही उर्वरकों का उपयोग कर उत्पादकता बढ़ा सकें। कार्ड में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, पीएच स्तर, और सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे जिंक, बोरॉन आदि की जानकारी होती है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाना और किसानों को सतत खेती की दिशा में मदद करना है। हर दो साल में नया कार्ड जारी किया जाता है, ताकि किसान अपनी मिट्टी की सेहत पर नजर रख सकें।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना भारत सरकार की एक प्रमुख कृषि पहल है, जिसकी शुरुआत 19 फरवरी 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राजस्थान के सूरतगढ़ में की गई थी। यह योजना किसानों को उनकी खेत की मिट्टी की स्वास्थ्य स्थिति और पोषक तत्वों की जानकारी प्रदान करती है, ताकि वे सही उर्वरकों और खेती की प्रथाओं का उपयोग कर उत्पादकता बढ़ा सकें।
मिट्टी के स्वास्थ्य कार्ड के बारे में अधिक जानकारी वीडियो देखें
परिभाषा और उद्देश्य
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का मुख्य उद्देश्य मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाना और किसानों को उनकी मिट्टी की सेहत के बारे में जागरूक करना है। इस योजना के तहत, किसानों को हर दो साल में एक कार्ड जारी किया जाता है, जिसमें उनकी मिट्टी के नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, पीएच स्तर, और सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे जिंक, बोरॉन, आयरन, मैंगनीज, और कॉपर की जानकारी दी जाती है। इसके साथ ही, कार्ड में फसल-वार उर्वरक और मृदा प्रबंधन की सिफारिशें भी शामिल होती हैं, जो किसानों को निवेश के विवेकपूर्ण उपयोग के माध्यम से उत्पादकता में सुधार करने में मदद करती हैं।
इस योजना को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रबंधित किया जाता है, और इसका लक्ष्य देश के 14 करोड़ किसानों तक पहुंचना है। यह योजना न केवल उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान देती है, बल्कि सतत खेती को बढ़ावा देकर मिट्टी की लंबी उम्र सुनिश्चित करती है।
पोषक तत्वों की जानकारी
नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम आदि
पीएच और ईसी स्तर
मिट्टी की अम्लता या क्षारीयता
सूक्ष्म पोषक तत्व
जिंक, बोरॉन, आयरन, मैंगनीज, कॉपर
सिफारिशें
फसल-वार उर्वरक और मृदा प्रबंधन
परीक्षण के बाद, कार्ड किसान को वितरित किया जाता है, और वे इस जानकारी का उपयोग अपनी खेती में सुधार के लिए कर सकते हैं। यह प्रक्रिया मुफ्त है, और किसानों को केवल अपने नजदीकी कृषि कार्यालय से संपर्क करना होता है।
किसानों के लिए फायदे
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के कई लाभ हैं, जो निम्नलिखित हैं:
उत्पादकता में वृद्धि: सही उर्वरकों के उपयोग से फसल की पैदावार बढ़ती है, जिससे किसानों की आय में सुधार होता है।
लागत में कमी: अनावश्यक उर्वरकों के उपयोग से बचाव, जिससे खर्च कम होता है और मुनाफा बढ़ता है।
सतत खेती: मिट्टी की सेहत सुधारकर लंबे समय तक उपज बनाए रखना संभव हो पाता है।
जागरूकता बढ़ाना: किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता और पोषक तत्वों की कमी के बारे में जानकारी देना, जिससे वे बेहतर निर्णय ले सकते हैं।
उदाहरण के लिए, अगर मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी है, तो किसान सही उर्वरक का उपयोग कर सकते हैं, जिससे उनकी गेहूं या धान की फसल में सुधार हो सकता है।
आवेदन प्रक्रिया: कैसे करें कार्ड प्राप्त?
मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लिए आवेदन करने के लिए, किसानों को निम्नलिखित कदम उठाने हो सकते हैं:
अपने नजदीकी कृषि विभाग या मृदा परीक्षण प्रयोगशाला से संपर्क करें।
अपनी खेत की मिट्टी का नमूना दें, जिसके लिए उन्हें कुछ बुनियादी जानकारी जैसे खेत का क्षेत्रफल और फसल का प्रकार देना पड़ सकता है।
कुछ दिनों में मिट्टी का परीक्षण पूरा हो जाएगा, और कार्ड तैयार हो जाएगा।
कार्ड को संबंधित अधिकारी से प्राप्त करें, जो आमतौर पर मुफ्त में वितरित किया जाता है।
किसान अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट soilhealth.dac.gov.in पर जा सकते हैं, अगर यह सुलभ हो। हालांकि, कई बार स्थानीय स्तर पर कृषि कार्यालय से संपर्क करना अधिक आसान होता है।
Written by Raju Mourya
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